Wednesday, September 16, 2009

कहीं यह खंण्डूड़ी की कुंठा तो नहीं !


कहीं यह खंण्डूड़ी की कुंठा तो नहीं !
खंण्डूड़ी के बयान से गिर सकता है कार्यकर्ताओं का मनोबल
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । मुख्यमंत्री निशंक की लोकप्रियता को पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी शायद पचा ही नहीं पा रहे हैं तभी तो जब भी निशंक को किसी सराहनीय कार्य का श्रेय दिया जाता है,खंण्डूड़ी इस पर नकारात्मक टिप्पणी करने से नहीं चूकते। राजनीतिक विश£ेषक उनके इन बयानों को उनकी कुंठा के रूप में देख रहे हैं।
हाल में विकासनगर उप चुनाव में मिली जीत के लिए भले ही भाजपा संगठन और आम जनता ने निशंक को श्रेय दिया हो लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूड़ी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। अब इसे उनकी कुंठा कहें या भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति से दूर छिटकने का डर। उन्होने अनोखा बयान देकर अपनी कुंठा को सार्वजनिक कर ही दिया। विकासनगर उप चुनाव जीतने पर उनका सार्वजनिक रूप से यह कहना कि विकासनगर की जनता ने भाजपा सरकार के पिछले ढाई सालों के कार्यकाल के आधार पर जनादेश दिया है। उनका यह बयान लोगों की समझ से एकदम परे है। राजनीतिक विश£ेषक उनके इस बयान से हैरत में हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर खंण्डूड़ी के इस बयान का औचित्य क्या है। उनका मानना है कि विकासनगर के लोगों ने फैसला सरकार के ढाई सालों के कामकाज के बदले दिया है तो फिर बीते लोकसभा चुनाव के दौरान जब खंण्डूड़ी की सरकार थी तब इस क्षेत्र की जनता ने भाजपा के पक्ष में मतदान क्यों नहीं किया। यहां पर यह बताते चलें कि भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी जसपाल राणा को उस समय १३०८८ मत ही हासिल हो पाये थे जबकि कांग्रेस के विजय बहुगुणा ने २७०३५ मत पाकर भाजपा को बहुत ही पीछे छोड़ दिया था। ऐसे में आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं कि उस वक्त जब खंण्डूड़ी की सरकार प्रदेश में थी विकासनगर के लोगों में भाजपा के प्रति कितना आक्रोश था।
विकासनगर उप चुनाव में भाजपा ने भले ही ५९६ मतों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की हो लेकिन दो महीनों के भीतर उसने अपने मत प्रतिशत में उसने ९० फीसदी का ईजाफा किया है। अब बदले परिदृश्य में भाजपा द्वारा विकासनगर में ११ हजार मतों की एकाएक बढ़त मिली है जो निश्चित तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री निशंक के करिश्में को प्रदर्शित करता है। जिस तरह निशंक ने इस विधानसभा के विनहार क्षेत्र को अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिलाया और मैदानी क्षेत्रों के मतदाताओं से स्वयं पर विश्वास करने का वायदा लिया उससे भाजपा यहां जीतने में सफल रही है। उप चुनाव में फिसड्डी समझे जाने वाली भाजपा ने यहां चुनाव ही नहीं जीता बल्कि लोकसभा चुनाव की अपेक्षा ११ हजार मतों की बढ़त लेकर मतदाताओं का दिल भी जीत लिया।
मौजूदा दौर में जब भाजपा संकट के दौर से गुजर रही है ऐसे में विकासनगर उप चुनाव जीतना उनके लिए बेहद राहत भरा है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी का यह बयान सभी को सकते में डालने वाला ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोडऩे वाला भी है। यह पहला मौका नहीं जब खंण्डूड़ी ने इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले भी कपकोट उप चुनाव के बाद उन्होने बेहद ही हास्यास्पद बयान दिया था तब खंण्डूड़ी ने कपकोट की जीत को जांच का विषय बताकर पार्टी में हलचल पैदा कर दी थी इतना ही नहीं उन्होने हाई कमान से यह भी पूछा था कि लोकसभा चुनाव के बाद आखिर कैसे कपकोट में १५ दिन के भीतर ही पार्टी को बढ़त मिल गयी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कपकोट विधान सभा भाजपा के वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी क ी लोकप्रियता के चलते भाजपा की ही परम्परागत सीट रही है जबकि इसके उलट विकासनगर विधानसभा में कांग्रेस और मुन्ना चौहान का पहले से ही वर्चस्व रहा है। भाजपा प्रत्याशी के रूप में २००७ के चुनाव में मुन्ना चौहान को अपवाद मान लिया जाय तो कभी भी भाजपा यहां दूसरे स्थान तक भी नही पहुंच पायी थी। ऐसे में विकासनगर में भाजपा का जीतना किसी करिश्में से कम नहीं माना जा सकता।
राजनीतिक विश£षकों का मानना है कि अब खंण्डूड़ी को इस तरह की बयानबाजी से बचकर पार्टी कार्यकर्ताओं क ा मनोबल बढ़ाये जाने की दिशा में काम करना चाहिए जोकि उनके व पार्टी के लिए फायदेमंद होगा।

Sunday, September 13, 2009

कहीं खंण्डूड़ी बागी तो नहीं !

कहीं खंण्डूड़ी बागी तो नहीं !
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । फैसले चाहें कितने ही बुरे क्यों न हो अगर वह अपने पक्ष में होते हैं तो अच्छे ही लगते हैं। आंकडे चाहे जितने भी रूखे क्यों न हों लेकिन वे सदा सच को ही बयां करते हैं। यह बात उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी पर इन दिनों सटीक बैठ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री इन दिनों खाली पड़े विशालकाय मुख्यमंत्री आवास में पसरे सन्नाटे के बीच छटपटा रहे हैं। इसी छटपटाहट का दर्द है कि उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर से हटाऐ जाने का कारण पूछा। अपने पत्र में जनरल ने लिखा कि 24 विधायकों का समर्थन होने के बावजूद उन्हें क्यों हटाया गया? लेकिन जनरल ने इस पत्र में पार्टी आलाकमान से यह नहीं पूछा कि जब 2007 में विधानसभा का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के नेतृत्व में कड़ी मेहनत से जीता गया था और जीतने के बाद उनके पास उस समय मुख्यमंत्री बनने के लिए 35 विधायकों का खुला समर्थन पत्र भी था और वे ही सर्वसम्मत मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी थे तो फिर भी उन्हें दरकिनार करते हुए मुझे मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया? जबकि उस समय मैं स्वयं न तो विधायक था ना ही किसी किसी विधायक का मुझे समर्थन प्राप्त था। उन्होने भले ही अपने पत्र में इस बात का जिक्र न किया हो लेकिन पार्टी नेतृत्व यदि उनसे पलटकर कोश्यारी के सर्वसम्मत नेता होने पर सवाल पूछ ले तो क्या खण्डूड़ी के पास उस सवाल का कोई जवाब होगा?
गौरतलब है कि 2007 में जब खंडूड़ी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था तो उस समय उन्होंने कोश्यारी के बागी होने से जुड़ा बयान भी दिया था। अब समय ने पलटी खाई है और कोश्यारी की जगह स्वंय बीसी खंडूड़ी हैं । खंडूड़ी आलाकमान द्वारा हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं। जबकि पार्टी के अनुशासित नेता होने के नाते उन्हें यह अधिकार नहीं है। पार्टी से जुडे उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि 2007 में जनता और विधायकों की पसंद नहीं होने के बावजूद उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। तब खंडूड़ी ने इसे पार्टी का आदेश कह कर स्वीकार किया था। अब जब उनसे यह जिम्मेदारी शीर्ष नेतृत्व द्वारा वापस ली गई है तो ऐसे में वह पार्टी के इस आदेश को उतनी ही आसानी से क्यों नहीं ले रहे हैं ? जितनी आसानी से उन्होने कुर्सी सम्भालते हुए पार्टी आलाकमान का यह निर्णय स्वीकारा था। पार्टी आलाकमान के फैसले के खिलाफ खंडूड़ी का पत्र लिखना क्या अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आता है? जबकि खंडूड़ी ने ही मौजूदा मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को अपनी पहली पसंद बताकर उनकी ताजपोशी का श्रेय भी लिया था।
राजनीतिक विश£ेषक बताते हैं कि अब जब मुख्यमंत्री बनने के बाद निशंक जनता से अपने व्यवहार के चलते तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं ऐसे में खंण्डूड़ी की चिंता है कि कैसे अपने वर्चस्व को कायम रखा जा सके ताकि मुख्यधारा की राजनीति से उन्हे नजरअंदाज न किया जा सके। विश£ेषक खंण्डूड़ी के इस पत्र को उनकी इसी चिंता से जोड़ रहे हैं।