Friday, July 17, 2009

भाजपा करती है धैर्य का मूल्याकंन



भाजपा करती है धैर्य का मूल्याकंन
मुख्यमंत्री 'निशंक ’ ने कहा सबको साथ ले करेंगे विकास
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । प्रदेश भाजपा में उठे तूफान की परिणिति के रूप में डा० रमेश पोखरियाल 'निशंकÓ राज्य के पांचवे मुख्यमंत्री बने। वे अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। राज्य गठन के पूर्व उत्तरप्रदेश में वे उत्तराचंल विकास मंत्री थे। राज्य के विकास की जिम्मेदारी उसी वक्त उन पर आ गयी थी। उत्तरप्रदेश में रहते हुए उन्होने विकास के लिये कई महत्वपूर्ण कार्यं भी किये । उन्होने गोविन्द बल्लभ पंत नारायण दत्त तिवारी व फिर हेमवती नन्दन बहुगुणा के विकास के सपनों को आगे बढ़ाया । उन्होने राज्य के गठन में भी सडक़ के आन्दोलन से लेकर उत्तरप्रदेश की विधान सभा तक में आवाज उठायी। राज्य के गठन के वक्त हरिद्वार और उधमसिंह नगर को शामिल किये जाने को लेकर जबरदस्त विवाद था इन विवादों को हल क रने के लिए 'निशंकÓ ने अकाली नेताओं के साथ ही ममता बनर्जी से भी सम्पर्क किया। उन्होने दोनों ही जिलों के लोगों को आश्वस्त किया कि राज्य के विकास में उनकी अनदेखी नहीं होगी। येन-केन-प्रकारेण दोनों ही जिलों के लोग खासकर सिक्ख और बंगाली समुदाय ने 'निशंकÓ पर भरोसा किया। इस बीच राज्य गठन हो गया। नये राज्य के मुख्यमंत्री को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया। उस वक्त राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 'निशंकÓ की दावेदारी सबसे मजबूत थी, लेकिन यह बात राज्य के कुछ नेताओं को रास नहीं आयी। प्रदेश में क्षेत्रीयता को आधार बनाते हुए कई सारे दावेदार हो गये। निशंक विरोधी पहाड़ के नेताओं ने उन पर कई सारे आरोप तक लगाये, लेकिन निशंक चुप रहे। विवाद बढ़ता देख पार्टी नेतृत्व ने वरिष्ठ नेता नित्यानन्द स्वामी को मुख्यमंत्री बना दिया। जिसको लेकर कुछ जनाधार विहीन नेताओं ने एक बार फिर क्षेत्रीयता को मुद्दा बनाया। साफ सुथरी छवि वाले संघर्षशील 'निशंकÓ को मोहरा बनाने से भी ये नेता नहीं चूके। लिहाजा पहले मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में संघ की पृष्ठभूमि वाले कोश्यारी और 'निशंकÓ शामिल नहीं हुए बाद में कुछ महीनों के पश्चात असंतुष्टों ने स्वामी हटाओ मुहिम चलायी।
उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सभापति रह चुके स्वामी को हटा दिया गया और 'निशंकÓ को दरकिनार करते हुए कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। कार्यकर्ताओं में पकड़ के बावजूद कोश्यारी के नेतृत्व में भाजपा पहला विधानसभा चुनाव हार गयी। वजह साफ थी कि मुख्यमंत्री के सभी दावेदार चुनाव में पार्टी को जिताने के बजाय एक दूसरे को हराने में जुट गये। राज्य में मजबूत जनाधार वाली भाजपा पृथक राज्य बनाने के बाद भी चुनाव में दर किनार कर दी गयी। ऐसे में श्री मनोहरकांत ध्यानी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये। श्री ध्यानी ने सुस्त पड़ गये पार्टी कार्यकताओं में नयी जान $$फूंकी। राज्य की जन समस्याओं पर आन्दोलन भी किया। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व से किन्ही खास बजहों से श्री ध्यानी का तालमेल कमजोर हो गया और फिर वहीं कोश्यारी प्रदेश अध्यक्ष हो गये। इस दौरान श्री 'निशंकÓ भी चुनाव हारकर अपना अधिक समय पार्टी को मजबूत करने में लगाते रहे। पांच साल तक तिवारी सरकार में भी कांग्रेसिंयों की उठापटक भी जारी रही। चुनाव में हार के बावजूद 'निशंकÓ ने धैर्य नहीं खोया वे साहित्यिक गतिविधियों में व्यस्त हो गये। साथ ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी सम्पर्क बनाये रहे। इस बीच दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई इस चुनाव में भी कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ पदों के दावेदारों पर नजर गढ़ायी लिहाजा भाजपा के कुछ शीर्ष नेता चुनाव में मात खा गये। इस बीच जीत कर आये दावेदारों ने खंण्डूरी को सत्ता सौंपे जाने का पुरजोर विरोध किया। लेकिन 'निशंकÓ इस दौरान मूक दर्शक बने रहे। वे पार्टी नेतृत्व के निर्णय के साथ खड़े रहे। उन्होने अपनी महत्वाकांक्षा के बजाय पार्टी नेतृत्व के निर्णय को तजरीह दी। इस बीच राज्य में परम्परागत तरीके से असंतुष्टों ने खण्डूरी हटाओ मुहिम एक बार फिर चलायी ये असंतुष्ट कुछ मौकों पर 'निशंकÓ के भी अपने साथ होने का दावा करते रहे। असंतुष्टों का मानना है कि खंण्डूरी के मुख्यमंत्री रहते पार्टी को नुकसान हो रहा है। उनके इस दावे के जवाब में खण्डूरी समर्थक स्थानीय निकाय,पंचायत चुनाव और उप चुनाव के नतीजों का हवाला देते रहे। लेकिन असंतुष्टों का कथन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सही साबित कर दिया। पार्टी को सभी सीटों पर बुरी तरह हार मिली असंतुष्टों ने खण्डूरी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और उन्हे हटाने के लिए केन्दीय नेतृत्व पर दबाव बनाने लगे। धीरे-धीरे कर पार्टी विधायक खण्डूरी और उनके विरोधी खेमों में बंट गये। नये मुख्यमंत्री के रूप कोश्यारी पंत और 'निशंकÓ का नाम उभरा। विधायकों की बैठक हुई जिसमें कभी खंण्डूरी समर्थक तो कभी कोश्यारी समर्थक विधायकों की गणना में आगे दिखे। पंत और 'निशंकÓ दोनों ही शुरू में निर्विवाद दीख रहे थे। लेकिन बाद में पंत कोशरी खेमे के दावेदार बताये जाने लगे। जानकार बताते हैं कि विधायक दल की देहरादून और दिल्ली में बैठकें हुई जिसमें खंण्डूरी के साथ विधायक ज्यादा मिले। इसी बीच 'निशंकÓ के नाम पर भी मतदान कराया गया जिसमें 'निशंकÓ बाजी मार गये। हालांकि पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि केन्द्रीय नेतृत्व और विधायकों को मैनेज करने में श्री प्रकाश पंत और उनके गुट के लोग असफल रहे। लिहाजा सत्ता की बागडोर 'निशंकÓ के हाथ आ गयी जानकार इसे श्री 'निशंकÓ के धैर्य और राजनैतिक कौशल का नतीजा बताते हैं। इन सब मुद़दों पर 'निशंकÓ एक खास बातचीत में कुछ खास टिप्पणी नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि पार्टी की मजबूती और क्षेत्र का उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में हैं। असंतोष के मुद़दे पर वे सब को साथ लेकर चलने की बात करते हैं। उनका कहना है कि प्रदेश में पार्टी के शीर्ष नेता मनोहकांत ध्यानी, भगत सिंह कोश्यारी, नित्यानन्द स्वामी तथा भुवनचन्द्र खण्डूरी का आर्शीवाद उन्होने मुख्यमंत्री बनने के बाद ही ले लिया। वे इन नेताओं के आर्शीवाद और बच्ची सिंह रावत प्रकाश पंत त्रिवेन्द्र रावत केदार सिंह फोनिया, व हरभजन सिंह चीमा, सुरेशचन्द्र जैन के सुझावों को अमल में लाएगें और पार्टी को मजबूती देंगे। इसके अलावा राज्य के विकास के लिए विपक्ष के नेताओं के सहयोग की भी उन्हे अपेक्षा है। वे कहते हैं कि राष्ट्र में रहने वाला हर व्याक्ति चाहे वह कहीं का हो किसी भी वर्ग से हो सभी का सहयोग विकास में लिया जाएगा। मुख्यमंत्री 'निशंकÓ की मानें तो राज्य में क्या गढ़वाल, क्या कुमांऊऔर क्या गैर पर्वतीय मूल के लोग सभी उनके लिए सम्मानित हैं और वे सभी के साथ मिलकर राज्य के विकास को नयी ऊंचाईयां देेगे। प्रदेश की अर्थिक हालात को वे एक चुनौती मानते हैं लेकिन उन्हे विश्वास है कि केन्द्र के सहयोग के साथ ही अधिकारी,कर्मचारी और जनता के सहयोग से इस मोर्चे पर भी उन्हे सफलता मिलेगी। वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही उन्होने बिजली पानी के संकट के हल के लिए त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। जिस पर प्रदेश के लोगों में सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखी है। प्रदेश के विभिन्न लोगों ने सरकारी कार्यालयों में मारे गये छापे का भी स्वागत किया है। ये छापे मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश भर के सरकारी कार्यालयों में एक साथ मारे गये थे जिसमें लगभग एक हजार से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी अनुपस्थित पाये गये थे। मुख्यमंत्री 'निशंकÓ का मानना है कि पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सरकारी कामकाज से राज्य के विकास को गति मिलेगी।
प्रदेश के युवा मृदुभाषी मुख्यमंत्री 'निशंकÓ के बयान और जनता की अपेक्षायें तथा पार्टी की एक जुटता इन तीनों का ही आकलन फिलहाल भविष्य बताएगा लेकिन 'निशंकÓ के आने के बाद प्रदेश के लोगों में जो उत्साह है उसे प्रदेश तथा भाजपा दोनों के ही भविष्य के लिए शुभ माना जा रहा है।