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Sunday, March 29, 2009
कांग्रेस शहीदों के साथ है या शहीदों के हत्यारे के साथ?
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, । राज्य आन्दोलनकारी की हत्या के मामले में आरोपी कांग्रेसी नेता की पहचान तथा इसके बाद हो होहल्ला मचने के परिणामस्वरूप कांग्रेस नेता का प्रवक्ता पद से जबरन इस्तीफा और अब राज्य आन्दोलनकारियों द्वारा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की मुहिम ने समूचे प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति को करारा झटका लगा है। जहां आन्दोलनकारी शक्तियां अब कांग्रेस के इस नेता को कांग्रेस से निकाल बाहर करने की मांग करने लगे हैं,वहीं इसे कांग्रेस की दोगली नीति तथा जनता को गुमराह करने का आरोप भी कांग्रेस पर लगने लगा है।
मामले में राज्य आन्दोलनकारी ,युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष तथा भाजपा नेता ने कांग्रेस को चेताया है कि वह प्रदेश की जनता को मूर्ख प समझे। उन्होने कांग्रेस के हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी हरीश रावत द्वारा मुजफ्फरनगर स्थित शहीद स्थल से चुनाव प्रचार करने पर आपत्ति करते हुए कहा कि कांग्रेस शहीदों के स्मारकों एवं शहीद स्थलों पर प्रवेश का नैतिक अधिकार खो चुकी है। उन्होने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से जवाबतलबी करते हुए कहा कि तीन अक्टूवर 1994 करनपुर गोलीकांड के आरोपी कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सूर्यकांत धस्माना को क्या कांग्रेस पार्टी ने अपने पद से इस्तीफा देने के निर्देश दिये हैं या यह कांग्रेस की नौटंकी है।
उन्होने कहा कि एक ओर कांग्रेस पार्टी राज्य आन्दोलन के शहीदों के हत्यारोंं को अपने गले लगा रही है वहीं कंाग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत रामपुर तिराहा शहीद स्थल से अपने प्रचार का श्री गणेश कर शहीदों की शहादत, महिलाओं के साथ हुआ अपमान का मखौल उड़ाकर तमाशा कर झूठी श्रद्घांजलि दे रहे हैं। उन्होने कांग्रेस से जवाब मांगा है कि वह राज्य आन्दोलन के शहीदों व हत्यारों के बारे में अपनी नीति स्पष्ठï करे। उन्हेाने कहा कि कांग्रेस जहां एक ओर शहीद स्थल से चुनाव प्रचार शुरू करने की बात करती है वहीं दूसरी ओर वह शहीदों के हत्यारे को गले से भी लगा कर रखना चाहती है। उन्होने कांग्रेस से कहा कि वह साफ बताये कि वह शहीदों के साथ है या शहीदों के हत्यारे के साथ।
इस मामले के तूल पकडऩे के साथ ही कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ गयी है। कांग्रेस के भीतर भी प्रवक्ता रहे धस्माना के विरोधी स्वर काफी मुखर होने लगे हैं। वरिष्ठï कांग्रेसी नेताओं का कहना है पार्टी इस हालात में लोकसभा चुनाव में किस मुंह से जनता के बीच जाएगी। कांग्रेस के ही कई वरिष्ठï नेताओं का कहना है कि हमने तो पहले ही पार्टी में इस बात को उठाया था कि राज्य आन्दोलनकारी की हत्यारोपी को अभी पार्टी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इनका कहना था कि उन्होने उस समय भी कहा था कि जब यह मामला न्यायालय से समाप्त हो जाय तो तभी इन्हे पार्टी की सदस्यता देनी चाहिए लेकिन उस समय हमारी बात को अनसुना कर दिया गया और इस समय लोकसभा के दो प्रत्याशियों की जिद के बाद श्री धस्माना को पार्टी में शामिल कर दिया गया। जो अब कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। वहीं राजनैतिक विश£ेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस मामले के उठने ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है।
बहरहाल अब इस मामले को लेकर प्रदेश में कांग्रेस के सामने अपनी स्थिति साफ करने की समस्या आ खड़ी हुई है। प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद भी कांग्रेस के प्याले में आया यह तूफान है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है और कांग्रेस को कुछ बोलते भी नहीं बन रहा है।
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