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Thursday, November 27, 2008
आतंकवाद पर ओछी राजनीति निंदनीय
Tuesday, November 25, 2008
अभिनव भारत पर आरोप निराधार-हिमानी सावरकर
हिमानी सावरकर उस संस्था अभिनव भारत की अध्यक्ष हैं जिसके ऊपर मालेगांव विस्फोट की योजना बनाने का आरोप लग रहा है. वे वीर सावरकर के छोटे भाई नारायण दामोदर सावरकर की पुत्रबधू और नाथूराम गोड्से के छोटे भाई गोपाल गोड्से की पुत्री हैं. अभिनव भारत के साथ-साथ वे हिन्दू महासभा की अध्यक्ष भी हैं. वे दिल्ली आयीं थी, इसी यात्रा के दौरान हमने उनसे मिलकर मालेगांव विस्फोट के सिलसिले में लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
अभिनव भारत के बारे में बताईये?
अभिनव भारत की स्थापना स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने १९०४ में की थी. लेकिन १९५२ में उन्होंने खुद इस संस्था को विसर्जित कर दिया था. उनका कहना था कि स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो गया अब इस संस्था की जरूरत नहीं है. लेकिन इधर पिछले कुछ सालों से जिस तरह से देश पर आतंकवादी हमले बढ़ रहे हैं उसने हिन्दू समाज के सामने एक नये तरह की चुनौती पेश कर दी है. इसको देखते हुए इस संस्था को २००६ में पुनः गठित किया गया. इसी साल अप्रैल में मैं इस संस्था की अध्यक्ष बनी.
और आपके आते ही धमाके शुरू हो गये?
हमारे ऊपर जो आरोप लगाये गये हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं है. सरासर झूठ है. हकीकत में कहीं कुछ है ही नहीं. एक महीने से एटीएस तरह-तरह से जांच कर रही है, पकड़े गये लोगों का नार्को करके सच सामने लाने का दावा कर रही है. अब तक क्या निकला है? आज एटीएस एक दावा करती है और अगले ही दिन उसका खण्डन करना पड़ता है. पहली बात तो यह है कि नार्को टेस्ट प्रमाणित ही नहीं मानी जाती. अगर ऐसा होता तो तेलगी के नार्कों के आधार पर अब तक शरद पवार और भुजबल को अभियुक्त होना चाहिए था.
लेकिन विस्फोट के सिलसिले में आप लोगों ने बैठक की या नहीं?
ऐसी कोई मीटिंग नहीं हुई है. अगर हम एटीएस के दावों को ही सही मान लें तो क्या मीटिंग करना कोई अपराध है? और मीटिंग हुई तो क्या लोगों ने वहां बम विस्फोट की प्लानिंग की? उनके सारे आरोपों का आधार नार्को टेस्ट है. बेहोश आदमी क्या बोलता है, इसको प्रमाण मानकर वे लगातार आरोप लगा रहे हैं.
आपको समझना होगा कि यह सारा काम हिन्दू समाज को अंदर से तोड़ने के लिए किया जा रहा है. इसकी शुरूआत शंकराचार्य की गिरफ्तारी से होती है. आप देखिए उसके बाद कितने हिन्दू सन्तों को किस-किस तरह से परेशान किया जा रहा है. शंकराचार्य के बाद रामदेव बाबा, फिर तोड़कर महाराज, फिर संत आशाराम और अब श्री श्री रविशंकर पर भी आरोप लगाये जा रहे हैं. क्या यह सब देखकर भी समझ में नहीं आता कि ये सारे काम किसके इशारे पर और क्यों किये जा रहे हैं? हिन्दू संत अब शिविर नहीं ले सकते. श्री श्री रविशंकर के बारे में कहा जा रहा है वे दिन में शिविर लेते हैं और रात में दूसरे प्रकार का प्रशिक्षण देते हैं. जबकि इसी साल १५ अगस्त को बंगलौर में खुलेआम पाकिस्तान समर्थकों ने २५ हजार लोगों की फौज बनाकर परेड कराई लेकिन उसकी कहीं कोई चर्चा नहीं हुई.
आपकी नजर में इसके लिए दोषी कौन है?
कांग्रेस ही एकमात्र दोषी है. वह नहीं चाहती कि इस देश के हिन्दू एक हों. वह सालों से बांटों और राज करो की नीति पर काम कर रही है. यह सब जो हो रहा है वह अपनी नाकामी को छिपाने के लिए इस तरह के षण्यंत्र को अंजाम दे रही है.
साध्वी प्रज्ञा आपसे जुड़ी हुई हैं?
हां, एकाध सभाओं में वे शामिल हुई हैं. लेकिन इसका मतलब आप क्या निकालना चाहते हैं?
कर्नल पुरोहित, या समीर कुलकर्णी?
नहीं. कर्नल प्रसाद पुरोहित एक सरकारी अधिकारी हैं. वे सरकारी अधिकारी रहते हुए किसी संस्था के सदस्य कैसे हो सकते हैं? हां, वे सेना के खुफिया विभाग में है. वे हमसे संपर्क में थे तो क्या काम कर रहे थे यह एटीएस कैसे निर्धारित कर सकती है? हो सकता है वे अपनी सेवाओं के तहत ही हमसे संपर्क में आये हों. सारी दुनिया यह देख रही है और हंस रही है कि हम अपने ही सेना के साथ क्या कर रहे हैं. अगर सेना में इस बात को लेकर विद्रोह हो गया तो क्या होगा?
कर्नल पुरोहित पर बम बनाने का आरोप लगा रहे हैं. क्या आपको पता है कि सेना में बम बनाने की शिक्षा ही नहीं दी जाती. कह रहे हैं कि पुरोहित ६० किलो आरडीएक्स लेकर गये सूटकेस में. क्या यह संभव है? वहां एक एक ग्राम का हिसाब होता है. ६० किलो आरडीएक्स उठाकर ले जाना कोई आलू प्याज उठाकर ले जाना नहीं है. ६० किलो आरडीएक्स को सुरक्षित रूप से एक से दूसरे जगह पहुंचाने के लिए रेलवे के दो वैगन जितनी जगह चाहिए.
मैं अभी समीर कुलकर्णी से मिली थी खिड़की न्यायालय में. मैं देखकर दंग रह गयी कि उनके साथ कितनी मारपीट की जा रही है. आठ दिन तक समीर कुलकर्णी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया. कर्नल पुरोहित का १६ किलो और समीर कुलकर्णी का वजन २० किलो घट गया है. क्या इन बातों की जानकारी आपको है? आपको वही पता है जो एटीएस बता रही है. आखिर इतना जुल्म इन लोगों पर किस बात के लिए किया जा रहा है. इसीलिए न कि एटीएस जो कहती है वे इसे स्वीकार कर लें. और करकरे कहते हैं कि वहां पिटाई नहीं हो रही है. एटीएस औरंगजेब से ज्यादा क्रूर व्यवहार कर रही है.
एटीएस ने आपको भी संपर्क किया है?
अभी तक नहीं किया है. आगे करेगी तो पता नहीं.
केन्द्र सरकार का हस्तक्षेप नहीं है?
केन्द्र में बैठी कांग्रेसी सरकार को इससे तो फायदा है. वह तो हिन्दू आतंकवाद के नये दर्शन से ही खुश है. वह क्यों हस्तक्षेप करेगी.
आपकी किसी से मुलाकात हुई है?
हम केन्द्र सरकार में कुछ लोगों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं और उनसे मिलकर सारी बातें साफ तौर पर उनके सामने रखेंगे. आगे वे जैसा करना चाहें.
आपकी संस्था को प्रतिबंधित किया जा सकता है?
हमें इस बात की कोई चिंता नहीं है. सरकार को अगर यही उचित लगता है तो वह कर सकती है.
और हिन्दू धर्म में इस तरह हिंसा को स्थापित करना कहां तक जायज है?
हमारा हिंसा में कोई विश्वास नहीं है. हम निरपराध लोगों को नुकसान पहुंचाने के पक्ष में कतई नहीं हैं. लेकिन हम इतना जरूर कहते हैं कि अगर आप हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करोगे तो हिन्दू समाज भी चुप नहीं बैठेगा. अगर हिन्दू समाज पर कोई अन्याय करेगा तो हम ईंट का जवाब पत्थर से भी देना जानते हैं. जो हमारे ऊपर मारने के लिए हाथ उठायेंगे तो हम उसका हाथ तो पकड़ेगें.
क्या कुछ हिन्दूवादी नेताओं से आपकी बात हुई है?
हमारी जिनसे भी बात हुई है वे सब यही कह रहे हैं कि यह जो कुछ हो रहा है वह गलत है. सब एक पार्टी विशेष के इशारों पर हो रहा है और हम सब इस मामले एक होकर संघर्ष करेंगे.
संघर्ष से आपका आशय?
अहिंसक संघर्ष और क्या? और हम क्या कर सकते हैं. जो लोकतांत्रिक तरीके हैं हम उनके ही जरिए संघर्ष करेंगे.
आप भगवा राजनीति की बात कर रही हैं. लेकिन इसी भगवा राजनीति में राज ठाकरे भी हैं.
हम हिन्दवी राजनीति में जातिवाद, क्षेत्रवाद को समर्थन नहीं करते हैं.
आपके भगवा राजनीति में धार्मिक अल्पसंख्यकों की जगह कहां है?
वीर सावरकर ने कभी यह नहीं कहा था कि गैर-हिन्दुओं को मारो काटो या देश से निकाल दो. उन्होंने कहा था कि इस देश में जिनको रहना है वह हिन्दू राष्ट्र का अंग होकर रहेगा. यहां मैं हिन्दू को धर्मवाचक नहीं बल्कि राष्ट्रवाचक संज्ञा के रूप में रख रही हूं. कानून की नजर में सबको एक समान होना होगा, सबकी निष्ठा यहां होगी.
अभिनव भारत को लेकर क्या योजनाएं हैं?
अभिनव भारत राजनीति नहीं करेगा. हम तरूणों को अभिनव भारत में शािमल करेंगे. उनके जरिए यह संदेश लोगों तक ले जाएंगे कि यह देश हमारा है और हम इसपर होनेवाले किसी हमले को स्वीकार नहीं करेंगे और हर प्रकार के लोकतांत्रिक तरीके से इसका जवाब देंगे. वीर सावरकर का जो मंत्र है- राजनीति का हिन्दूकरण और हिन्दुओं का सैनिकीकरण. हम उस आदर्श को स्थापित करने के लिए काम करेंगे.
(विस्फोट डाट काम के सौजन्य से)