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Sunday, November 9, 2008
कोश्यारी को राज्यसभा भेज केन्द्र ने साधे कई निशाने एक साथ
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को राज्य सभा में भेजे जाने के निर्णय से कोश्यारी तो कतई खुश नहीं हैं लेकिन इस फरमान से मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खंण्डूड़ी तथा प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत भी खुश नहीं बताये जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में काबिज अपनी ही सरकार के कार्यों से नाखुश विधायकों का नेतृत्व कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को अचानक राज्य सभा में भेजे जाने को भाजपा आला कमान द्वारा एक तीर से कई निशाने साधने के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्र ने यह फैसला बड़े ही सोच समझ कर लिया बताया जा रहा है। यही कारण है कि इस फैसले से कोई भी खुश नजर नहीं आ रहा है। राजनैतिक विश£ेषकों के अनुसार इस फैसले से कोश्यारी इस लिए खुश नहीं हैं कि उन्हे प्रदेश की राजनीति से केन्द्र ने जानबूझकर दूर करने का प्रयास किया। जबकि उनकी इच्छा कतई भी राज्यसभा में जाने की नहीं थी और केन्द्र ने उन्हे जबरन वहां जाने का फरमान सुना दिया। हालांकि सूत्र बताते हैं कि केन्द्र ने यह फैलसा इस लिए लिया कि सरकार की खिलाफत कर रहे विधायकों का नेता ही जब केन्द्र चला जाएगा तो प्रदेश में अब उनका नेतृत्व कौन करेगा लिहाजा सरकार के खिलाफ चल रहे शीत युद्घ में कुछ क मी तो जरूर आएगी और मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी निर्बाध रूप से सरकार चला पाएंगे। लेकिन इधर खंण्डूड़ी विरोधी गुट का कहना है कि कोश्यारी के केन्द्र में जाने से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला उनका आन्दोलन जारी रहेगा। कोश्यारी को राज्य सभा में भेजने के फैसले से मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत तक भी खुश नहीं बताए गए हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि भगत सिंह कोश्यारी के राज्य सभा में भेजे जाने की घोषणा के तीन दिन बाद तक इन दोनों नेताओं में से किसी ने भी कोश्यारी को वहां जाने की बधाई तक नहीं दी। इस नाखुशी के पीछे के कारणों पर प्रकाश डालते हुए राजनैतिक विश£ेषकों का मानना है कि कोश्यारी के राजनीतिक कद व संघ तथा भारतीय जनता पार्टी को उनके द्वारा दिये गये अपने सम्पूर्ण जीवनकाल के कारण उनका भाजपा के केन्द्रीय नेताओं से सीधा सम्पर्क तो है ही साथ ही उनकी वरिष्ठïता को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता इसलिए यहां के नेताओं को इस बात का खतरा है कि कोश्यारी के केन्द्र में जाने से प्रदेश की सभी कच्ची -पक्की बातें वहां तक पहुंच जाएंगी। जिससे इनकी पोल-पट्टïी जो अब तक छिपी हुई थी वह वहां भी सार्वजनिक होगी जिसका खामियाजा इन्हे भुगतना पड़ सकता है। राजनीतिक विश£ेषकों के अनुसार अभी तक प्रदेश में क्या कुछ भाजपा में चल रहा है अथवा क्या कुछ सरकार में चल रहा है उसकी सही तस्वीर केन्द्रीय नेताओं तक इसलिए नहीं पहुंच पा रही थी कि इन दोनों ने प्रदेश प्रभारियों को खरीद लिया था और जो कुछ ये प्रदेश प्रभारियों को फीड करते थे वह बात ही केन्द्र तक पहुंचती थी शेष बात बीच में ही गायब हो जाती थी। यही कारण है कि बीच में प्रदेश प्रभारियों क ी कार्यप्रणाली पर प्रदेश के विधायकों सहित मंत्रियों तक ने उंगुलियां उठाई थी और केन्द्र को प्रभारी बदलने पर सोचना पड़ रहा है। जहां तक प्रदेश अध्यक्ष बच्ची सिंह रावत की नाखुशी के बारे में राजनीतिक विश£ेषकों का कहना है कि भाजपा आलाकमान की इस घोषणा के बाद वे अब कहीं के नहीं रहे। या तो उन्हे भगत सिंह कोश्यारी के राज्य सभा में जाने के बाद उनकी खाली हो रही विधानसभा सीट कपकोट से विधानसभा चुनाव लडऩा होगा या फिर वे राजनीति के बियावान में यूं ही भटकते रहेंगे। सूत्रों के अनुसार उन्हे पूरी उम्मीद थी कि भाजपा आलाकमान उन्हे राज्य सभा की सीट से टिकट देकर राज्य सभा का पास जारी कर देगा लेकिन ऐन वक्त पर कोश्यारी को उनके न चाहने के बाद भी टिकट देने से बच्ची दा की आशाओं पर पानी फिर गया, और वे कहीं के नहीं रहे।
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