Monday, August 18, 2008

सत्तापक्ष ने शुरू किया क्राईसिस मेनेजमेंट

राजेन्द्र जोशी
देहरादून : पार्टी हाईकमान से रूठों को मनाने के लिए मिले संकेतों के बाद मुख्यमंत्री खंण्डूड़ी तथा उनके सिपहसालार असंतुष्टïों को अपने पक्ष में करने के लिए ऐड़ी से चोटी का जोर लगाने में जुट गए हैं। इस क्राईसिस मेंनेजमेंट में मुख्य मंत्री अब पार्टी के बुजुर्ग नेताओं का सहारा भी ले रहे हैं। पार्टी के प्रति प्रतिबद्घता और भावनात्मक संबधों के कारण ये वरिष्ठï नेता असंतुष्टïों को मुख्यमंत्री के पक्ष में करने के लिए प्रयासरत तो हैं लेकिन इससे समाधान हो जाएगा इसमें संदेह है। क्योंकि यही असंतुष्टï विधायक तथा मंत्री इन बुजुर्ग नेताओं की सक्रियता पर स्वार्थगत् राजनीति से घिरे होने का आरोप भी लगा रहे हैं।
गौरतलब हो कि आजकल उत्तराखण्ड की राजनीति में खामोशी सी छायी हुई है। लेकिन भीतरखाने पार्टी के भीतर ज्वार चल रहा है। जहां एक ओर 27 विधायक तथा पांच मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ झंण्डा बुलंद किए हुए हैं वहीं मुख्यमंत्री भी अब इस क्राइसिस से उबरने का रास्ता ढूंढऩे पर लगे हैं। अब वे भी मानने लगे है कि कहीं न कहीं चूक तो जरूर हुई है जो इतने विधायक तथा मंत्री उनके खिलाफ लामबंद जो हुए हैं। दोनों गुटों में देर रात्री तक बैठकों का दौर जारी है। कोई सरकार के खेल को बिगाडऩा चाहता है तो कोई विधायकों तथा मंत्रियों की एक जुटता को तोडऩे की रणनीति बना रहा है। प्रदेश भाजपा संगठन है कि वह चुपचाप तमाशबीन बना हुआ है।
राजनीतिक विश£ेषकों के अनुसार प्रदेश में उपजी इस स्थिति के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित प्रदेश संगठन को ही दोषी माना जा सकता है जिसने समय पर न तो सरकार को सचेत किया तथा न ही विधायकों तथा मंत्रियों को ही कि पार्टी से बाहर इस तरह की बात न हो। अब मुख्यमंत्री खेमे के लोग भी इस घटनाक्रम पर पार्टी को ही खींचने लगे हैं जिनक ी नाक के नीचे सरकार की छिछालेदारी हुई है। वहीं अब केन्द्र तथा भाजपा के वरिष्ठï नेताओं के ईशारे पर प्रदेश सरकार तथा संगठन ने क्राइसिस मेनेजमेंट के लिए सभी असंतुष्टï विधायकों तथा मंत्रियों से एक-एक कर बात करने की योजना बनाई है। इसके लिए पार्टी संगठन के दो लोगों को कुमांयू क्षेत्र तथा दो को गढ़वाल क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। ये लोग असंतुष्टï विधायकों तथा मंत्रियों से उनकी नाराजगी का कारण पूछते हुए उनकी समस्याओं के निराकरण का प्रयास करने की कोशिश करेंगे। असंतुष्टï नेताओं को मनाने व समझाने के लिए उनके सजातीय व वरिष्ठï नेताओं का सहारा लिया जा रहा है।
जबकि सूत्रों का कहना है कि असंतुष्टïों के सामने अब करो या मरो की स्थिति है इसके पीछे का तर्क देते हुए राजनैतिक विश£ेषकों का कहना है कि इस वक्त इनके लिए भी विश्वास तथा राजनीतिक भविष्य का दांव पर लगना है ऐसे में ये अपने साथियों के साथ किसी भी तरह की गद्दारी नहीं कर सकते अन्यथा विधायकों तथा मंत्रियों में जहां इनका विश्वास समाप्त हो जाएगा वहीं आगे इनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लग सकता है इसलिए जहां सत्ता पक्ष इन्हे तोडऩे की जोर आजमाइश कर रहा है वहीं असंतुष्टï गुट भी एक जुटता दिखा रहा है। कुल मिला कर प्रदेश में इन दिनों शह व मात का खेल चल रहा है जिसमें बुजुर्ग नेता मोहरे बने हैं।

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