राजेन्द्र जोशी
देहरादून: माओवादी नेता प्रचंड के नेपाल की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। खुफिया विभाग आईएसआई के नेपाल के रास्ते घुसपैठ की संभावना पहले ही जताता रहा है। लिहाजा भारत-नेपाल सीमा पर अब कड़ी चौकसी करने का निर्णय सीमा क्षेत्र का कार्य देख रहे अधिकारियों ने लिया है। इसके तहत सश सीमा बल (एसएसबी) को सीमा पर समन्वय का काम अधिक जिम्मेदारी से निभाने और बार्डर पर एसएसबी की महिला विंग को भी तैनात करने का निर्णय लिया गया है। नेपाल में हाल के दिनों में हालात तेजी से बदले हैं,भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले प्रचंड को वहां की जनता ने बागडोर सौंपी है। साथ ही उनकी पहली यात्रा भारत की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले चीन के लिए ही हुई है, वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री के जल्द ही भारत की यात्रा पर आने की जानकारी नैपाली मीडिया से मिल रही है जिसमें उन्होने कहा है कि भारत की यात्रा उनकी पहली राजनीतिक यात्रा होगी। जबकि अब तक नेपाल के प्रधानमंत्री पहली यात्रा भारत की ही करते आये हैं। इसके अलावा नेपाल के अर्धसैनिक बलों में माओवादियों की तैनाती के फरमान ने भी भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सूत्रों के मुताबिक खुफिया तंत्र ने भी केन्द्र सरकार को नेपाल की बदली परिस्थितियों से देश में नेपाल सीमा से घुसपैठ तेज होने की संभावना जतायी है। इसे लेकर सरकार भी सक्रिय हो गयी है। सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के अधिकारियों की बैठकों के साथ ही बीते दिनों लखनऊ में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गयी। इसमें नेपाल सीमा की परिस्थितियों को लेकर गंभीर मंथन किया गया। सुरक्षा के लिए खतरा होने के कारण एसएसबी अधिकारियों को सीमा पर कार्यरत विभागों के समन्वय के काम में गंभीरता बरतने का निर्णय लिया गया। उल्लेखनीय है कि नेपाल सीमा पर कार्यरत एसएसबी, खुफिया तंत्र, कस्टम, सिविल पुलिस व जिला प्रशासन के बीच एसएसबी ही समन्वय स्थापित करने का काम करती हैं। आमतौर पर इसकी सप्ताह भर के अंतराल में ही बैठक होती है। लेकिन अब जल्द बैठकें करने को कहा गया है। इसके अलावा नेपाल सीमा पर महिलाओं के माध्यम से तस्करी होने के मुद्दे पर भी गंभीर मंथन हुआ है। लिहाजा सीमा पर महिला विंग तैनात करने का निर्णय लिया गया। इस विंग की एक बटालियन वर्तमान में हिमांचल में प्रशिक्षण भी ले रही है। इसके अगले साल शुरुआत में ही उत्तराखंड से लगी नेपाल सीमा पर तैनात होने की संभावना है। इसके अलावा खुफिया तंत्र को और सक्रिय कर दिया है। एसएसबी के एक अधिकारी ने बताया कि प्रचंड माओवादी नेता हैं, भारत का माओवाद भी काफी हद तक नेपाली माओवाद की विचारधारा से प्रेरित है। प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद आईएसआई को देश में नेपाल के रास्ते घुसपैठ करने का अवसर मिल सकता है। जिस पर कड़ी नजर रखने की जरूरत होगी।
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