राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखण्ड राजधानी बनने से पूर्व देहरादून को 'रिटायर्ड मैन सिटीÓ कहा जाता रहा है। अपने जीवन के यौवन को सरकारी नौकरियों में खपा लेने के बाद देश के अधिकांश अभिजात्य वर्ग की दिली ख्वाईश होती थी कि अब जिन्दगी के बाक ी बचे क्षणों को वे देहरादून की सुरम्य वादियों में अपने परिवार के साथ गुजारें । लेकिन ताजा आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं कि बुजुर्ग लोगों की पहली पसंद अब देहरादून के बजाय हरिद्वार हो गया है। इसके पीछे हरिद्वार का धार्मिक वातावरण हो सकता है। ताजा आंकड़ों के अनुसार हरिद्वार जनपद में सर्वाधिक वृद्ध मध्यमवर्ग तथा निम्रवर्ग के व्यक्तियों ने जहां वृद्घावस्था पेंशन के लिए आवेदन किया है वहीं इसी जिले के वृद्घों को सबसे ज्यादा पेंशन भी दी जा चुकी है जबकि कुमांयूं क्षेत्र के चम्पावत जिले में सबसे कम वृद्ध व्यक्तियों ने आवेदन किया और यहीं सबसे कम पेंशन की रकम का भुगतान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन के पात्र के लिए कुछ नियमों में बदलाव कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप समाज कल्याण विभाग के पास ऐसी पेंशन पाने के लिए आवेदन पत्रों का तांता लग गया। वित्तीय वर्ष 2008-09 में ही अब तक हजारों की संख्या में विभाग को वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन पत्र विभागीय अधिकारी प्राप्त कर चुके हैं। अब विभागीय अधिकारी प्राप्त इन आवेदन पत्रों की सत्यता की करने जांच में जुटे हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पहले ही राज्यभर के एक लाख से अधिक वृद्ध व्यक्ति वृद्धावस्था पेंशन का लाभ उठा रहे हैं। वृद्धावस्था पेंशन का लाभ सार्वधिक हरिद्वार जनपद के बुजुर्गो को मिल रहा है। हरिद्वार जनपद के 11899 वृद्ध व्यक्तियों को अल्मा़ेडा जनपद के 7334 वृद्धों को, उत्तरकाशी जनपद के 11827, चमोली जनपद के 7140, चम्पावत जनपद के 2974, टिहरी गढ़वाल के 11229, देहरादून जनपद के 10991, नैनीताल जनपद के 6884, पिथौरागढ़ जनपद के 3750 पौड़ी जनपद के 7885, बागेश्वर जनपद के 3182 और रूद्रप्रयाग जनपद के 3099 वृद्ध व्यक्तियों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ दिया जा रहा है।
लेकिन अब इस पेंशन को पाने के लिए मिल रहे आवेदनों की संख्या को देखते हुए सरकार के माथे पर बल पड़ गये हैं। उधर दूसरी तरफ समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने कहा कि वृद्ध जनों के कल्याण हेतु जल्द ही नई योजना क ो लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विभाग का हरसंभव प्रयास है कि प्रदेश के सभी वृद्धों को वृद्धाव्स्था पेंशन का लाभ दिया जाय। लेकिन वहीं दूसरी ओर आम जनता में मौजूद एक वृद्ध को अपनी पेंशन लगाने के लिये सैकड़ों चक्कर इनके सरकारी दफ्तरों के लगाने पड़ते हैं और तब कहीं जाकर यदि सरकारी बाबू को रहम आ जाये तो उनको उनका हक मिल जाता है। कुल मिलाकर राज्य में वृद्घवस्था पेंशन अधिकारियों के हाथ में न होकर सरकारी कार्यालयों में दिनभर कुर्सी तोडऩे वाले बाबुओं के ही हाथों की बनकर रह गयी है।
No comments:
Post a Comment