Sunday, July 20, 2008

पंचायत चुनाव में तीस फीसदी सीटें ही सामान्य पुरूषों को

पंचायत चुनाव में तीस फीसदी सीटें ही सामान्य पुरूषों को
देहादून, (राजेन्द्र जोशी): आरक्षण केवल 50 फीसदी तक ही दिया जा सकता है लेकिन प्रदेश सरकार ने न्यायालय के आदेशों तक को ताक पर रखते हुए राज्य में लगभग 70 फीसदी तक आरक्षण पंचायती चुनाव के लिए जारी कर दिया है। इससे प्रदेश के सामान्य जाति के लोगों में रोष व्याप्त है। यही कारण है कि मात्र देहरादून जिले में ही लोगों ने इस पर रिकार्ड आपत्तियां दर्ज की है।
पंचायती राज चुनाव में सरकार ने पूरे प्रदेश में 70 प्रतिशत आरक्षण के नाम प्रदेश की सीटों को घोषित तो कर दिया है लेकिन सरकार ने अनारक्षित 30 प्रतिशत रख कर प्रदेश के सामान्य जाति के लोगों को अब सोचने के लिए मजबूर कर दिया है वे आखिर अब कहां जाएें। न्यायलय के आदेशों को भी सरकार ने ताक में रख दिया है। न्यायलय के अनुसार 50 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए लेकिन लगता है प्रदेश सरकार को न्यायालय का भी डर नहीं रह गया है। पूरे राज्य के लिये 33 प्रतिशत महिला आरक्षण व ओबीसी के आरक्षण को माना गया है जो पूरे प्रदेश को 50 प्रतिशत तक आरक्षण होना चाहिए लेकिन जन सामान्य के लिये अब पूरे प्रदेश में मात्र 30 फीसदी सीट ही रह गयी है। इन्हे मात्र इन 30 प्रतिशत में ही संतोष करना होगा।
उच्चतम न्यायालय ने 1992 में इन्द्रा साहनी केस में 50 प्रतिशत आरक्षण की बात मानी गयी थी। लेकिन राज्य सरकार ने न्यायालय तक को ताक पर रख कर 70 प्रतिशत आरक्षण करके जनसामान्य तक को भी आरक्षण की मांग लेने क ी सोचने पर मजबूर कर दिया है। हर जगह से युवाओं ने इनके प्रति आपत्ति दर्ज करानी शुरू कर दी है। । प्रदेश सरकार इस कृत्य से अब कहीं ऐसा न हो कि प्रदेश सरकार के पंचायती चुनाव में 70 फीसदी आरक्षण के चलते एक और नये आरक्षण आन्दोलन की मांग को जन्म देने का काम कर रही हो। सरकार ने अब युवाओं को भी आरक्षण के लिये सोचने पर मजबूर कर दिया है। जनसामान्य इसका जिस तरह से विरोध कर रहा है उसकी चर्चा पूरे प्रदेश में आग का काम कर रही है। खासकर युवाओं में अब इस समस्या को विधान सभा में पूरे जोश के साथ उठाने की चर्चा हो रही है। लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। इससे जनसामान्य के प्रतिनिधियों में से इन सीटों पर कोई भी 10 सालों तक पंचायतों में नहीं आ सकता है।
वहीं दूसरी ओर त्रिस्तरीय पंचायतों में आरक्षण के संबंध में लोगों ने मुख्य विकास अधिकारी डा. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम के पास विकास भवन आपत्तियों को दर्ज करायी है। जिसमें देहरादून जिले के सदस्य ग्राम पंचायत, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, प्रमुख, जिला पंचायत सदस्यों हेतु आपत्तियों को प्राप्त किया गया। उनके अनुसार इनका गहन परीक्षण करने के बाद ही अंतिम सूची का प्रकाशन किया जायेगा तथा 22 जुलाई 2008 तक इसकी सूचना प्रदेश शासन का भेजी जायेगी।
उन्होंने बताया है कि जिला पंचायत सदस्य के लिए विकास खण्ड चकराता में सात, विकास खण्ड कालसी में दो , विकासनगर में एक, विकासखण्ड सहसपुर में नौ, विकासखण्ड रायपुर में 14 तथा विकासखण्ड डोईवाला में एक , आपत्ति दर्ज की गई है। सदस्य क्षेत्र पंचायत तथा प्रमुख के लिए विकासखण्ड चकराता में 16, विकासखण्ड कालसी में छह, विकासनगर में तीन, विकासखण्ड सहसपुर में तीन, विकासखण्ड रायपुर में 22 तथा विकासखण्ड डोईवाला में पांच आपत्तियां दर्ज की गई है। ग्राम प्रधानों हेतु प्राप्त आपत्तियां विकासखण्ड चकराता में 14, विकासखण्ड कालसी में आठ, विकासनगर में नौ, विकासखण्ड सहसपुर में 47, विकासखण्ड रायपुर में 34, विकासखण्ड डोईवाला में 21 आपत्तियां दर्ज की गयी है। सदस्य ग्राम पंचायतों हेतु विकासनगर में आठ, सहसपुर में छह, डोईवाला में पांच, रायपुर में दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं। शेष राज्य का भी यही हाल है जहां इन चुनावों में भारी सरकार द्वारा भारी आरक्षण दिए जाने पर आपत्तियों का सिलसिला जारी है।

1 comment:

Anonymous said...

bahut aachha hai. khoob jankari milai. ras