राजेन्द्र जोशी
देहरादून: राजधानी चयन आयोग ने प्रदेश की स्थाई राजधानी के चयन को लेकर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है लेकिन राजधानी कहां हो यह सरकार पर छोड़ दिया है।
रिपोर्ट में गैरसैंण,रामनगर,ऋषिकेश तथा देहरादून का व्यापक अध्ययन के साथ ही स्कूल आफ प्लानिंग एण्ड अर्किटेक्चर की रिपोर्ट भी लगायी गयी है। राजधानी चयन को लेकर यह रिपोर्ट पूरे आठ साल में तैयार हो पाई है। राजधानी चयन आयोग का गठन राज्य की पहली भाजपा की अंतरिम सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानन्द स्वामी ने किया था इसके बाद से लेकर अब तक 11 बार इस आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। बीती 31 जुलाई को इसे अंतिम बार उच्चन्यायालय के निर्देश के बाद 17 दिनों के लिए बढ़ाया गया था जिसकी सीमा बीते दिन समाप्त हो गई। बीते दिन ही राजधानी चयन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वीरेन्द्र दीक्षित ने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जस्टिस वीरेन्द्र दीक्षित ने इस रिपोट्र को बनाने में बड़ी ही गोपनीयता रखी। उन्होने स्वयं ही रिपोर्ट को टाईप कर अपने सामने बाईंडिंग करवा कर लिफाफा तक अपने सामने सील कर स्वयं ही मुख्यमंत्री को सौंपा है। जबकि सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री को सौंपी गयी इस रिपोर्ट में किसी भी स्थान को निर्दिष्टï नहीं किया गया है। इस रिपोर्ट में राजधानी को लेकर जन सामान्य का तर्क, प्रस्तावित स्थलों की हवाई,सडक़,संचार उपलधता, निर्माण खर्च, प्रस्तावित स्थलों की भूगर्भीय,पर्यावर्णीय संरचना, जल तथा सीवेज की व्यवस्था आदि पर रिपोर्ट शामिल है। इतना ही नहीं इसमें राजधानी बनने के बाद सरकार पर आने वाले वित्तीय भार की भी इसमें रिपोर्ट दी गयी है।
अब जबकि राजधानी को लेकर देहरादून में कई स्थाई निर्माण कार्य सरकार द्वारा कराए जा चुके हैं और अन्य स्थानों की अपेक्षा देहरादून में वह सारी सुविधाएं जुटाई जा चुकी हैं ऐसे में राजधानी कहीं और बने यह सोचना नामुमकिन है। जबकि राज्य निर्माण में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारी शहीदों की पहली प्राथमिकता गैरसैंण में राजधानी हो को लेक र आन्दोलन शुरू किया गया था। लेकिन बदले परिदृश्य में लखनऊ से यहां आए अफसरान तथा कुछ एक नेता गैरसैंण जाने को क्या तैयार होंगे यह विचारणीय है।
1 comment:
वैसे राजधानी तो गैरसैंण को ही होना चाहिए।
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